Madhu varma

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लेखनी कविता - वे मधु दिन जिनकी स्मृतियों की -महादेवी वर्मा

वे मधु दिन जिनकी स्मृतियों की -महादेवी वर्मा 


वे मधु दिन जिनकी स्मृतियों की
 धुँधली रेखायें खोईं,
चमक उठेंगे इन्द्रधनुष से
 मेरे विस्मृति के घन में!

झंझा की पहली नीरवता-
सी नीरव मेरी साधें,
भर देंगी उन्माद प्रलय का
 मानस की लघु कम्पन में!

सोते जो असंख्य बुदबुद से
 बेसुध सुख मेरे सुकुमार;
फूट पड़ेंगे दुख सागर की
 सिहरी धीमी स्पन्दन में!

मूक हुआ जो शिशिर-निशा में
 मेरे जीवन का संगीत,
मधु-प्रभात में भर देगा वह
 अन्तहीन लय कण कण में। 


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